Sunday, November 15, 2009

दुनिया की आंखों में कांटे की तरह गड़ती है भारत की पारिवारिक और सामाजिक व्यवस्था!

लंदन से जारी हुई लेगटम प्रोस्पेरिटी रिपोर्ट में भारत की जिस सामाजिक और पारिवारिक व्यवस्था को विश्व में सबसे अच्छी बताया गया है, उसे विनष्ट करने के लिये पूरी दुनिया ताल ठोक कर खड़ी हुई है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि भारत की सामाजिक और पारिवारिक व्यवस्था अपने आप में कितनी अद्भुत है और शेष विश्व की सभ्यताओं से कितनी भिन्न है। चूंकि दूसरे देश इस प्रकार की सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था का निर्माण नहीं कर सकते जिसमें आदमी को सुखी जीवन जीने के लिये कम पूंजी की आवश्यकता होती हो, इसलिये वे भारत की अथाह सम्पदा को व्यापार के नाम पर लूटना चाहते हैं किंतु परम्परागत भारतीय सामाजिक और पारिवारिक व्यवस्था के चलते वे भारत के लोगों से अरबों खरबों की सम्पत्ति नहीं लूट सकते। यही कारण है कि भारतीय सामाजिक और पारिवारिक व्यवस्था पूरी दुनिया की आँखों में कांटे की तरह गड़ती है।
आज से कुछ साल पहले भारत की दो-तीन लड़कियों को अचानक ही विश्व सुंदरी और ब्रह्माण्ड सुंदरी बनाने का विश्वव्यापी नाटक रचा गया था। इन सुंदरियों ने टीवी के पर्दे से लेकर सिनेमा और प्रिण्ट मीडिया में नारी देह को भड़कीला बनाने वाली सामग्री का अंधाधुंध प्रचार किया और अपनी अधनंगी देह के सम्मोहन को औजार की तरह काम में लिया जिसके कारण पश्चिमी देशों के बड़े-बड़े व्यापारी भारत से अरबों खरबों रुपये कमा कर ले गये और आज भी ले जा रहे हैं। सुंदरियों की अचानक आई बाढ़ के कारण बहुत से भारतीय माता-पिताओं ने अपनी लड़कियों को फैशन परेडों, ब्यूटी कांटेस्टों और रियलिटी शो नामक बेशरम तमाशों की तरफ धकेल दिया। इन चक्करों में पड़ कर न जाने कितनी लड़कियों का दैहिक शोषण हुआ। सामाजिक बदनामी से बचने के लिये लड़कियों ने अपनी अस्मत लुटाकर भी चुप रहना स्वीकार किया। जो कहानियाँ समाज के समक्ष आर्इं वे तो एक प्रतिशत भी नहीं रही होंगी। कुछ स्टिंग आॅपरेशनों ने ऐसे दैहिक शोषणों के मकड़जाल की छोटी सी झलक देश के लोगों को दिखाई थी।
भारतीय पारिवारिक और सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न करने के लिये टी वी सीरियल पूरी ताकत के साथ आगे आये। इन धारावाहिकों में एक अलग ही तरह का भारत दिखाया गया जहाँ बहुएँ अपनी सास के विरुद्ध और सास बहुओं के विरुद्ध षड़यंत्र करती हैं। सगे भाई एक दूसरे की इण्डस्ट्री पर कब्जा करने की योजनाएं बना रहे हैं। बेटियां अपने पिता को शत्रु समझ रही हैं और ननद-भाभियां एक दूसरे की जान की दुश्मन बनी हुई हैं। पत्नियाँ धड़ल्ले से एक पति को छोÞडकर दूसरे से ब्याह रचा रही हैं। यह कैसा भारत है? कहाँ रहता है यह? मुझे अपने गली, मौहल्ले में ऐसा भारत कहीं दिखाई नहीं देता। फिर भी कुछ कम बुद्धि के लोग इन सीरियलों को रीयल लाइफ मानकर अपने दिमागों में अपने ही परिवार के सदस्यों के प्रति खराब धारणा बना कर बैठ गये हैं। ऐसे परिवारों में आई टूटन साफ देखी जा सकती है। यह टूटन अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक षड़यंत्रों का ही परिणाम है। यदि हमें सुखी रहना है तो इन अंतर्राष्ट्रीय षड़यंत्रों को पहचानकर अपने परिवारों को पूजी से नहीं मानसिक शांति से समृद्ध करने की पुरानी परम्परा पर लौटना होगा। लड़कियों के तन नहीं, मन सुंदर बनाने होंगे।

2 comments:

  1. मैं आपसे पूर्णतः सहमत हूँ. दुर्भाग्य की बात है कि "आधुनिकता" कि दौड़ में अंधी हो चुकी युवा पीढी और उससे भी ज्यादा उनके मां-बाप इस बात को समझने को तैयार नहीं हैं. साम्राज्यवाद के इस नए रूप को जब तक लोग जन पाएंगे, आशंका है कि तब तक बहुत देर हो चुकी होगी.

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