Wednesday, August 12, 2009

बिजली के पंख लगाकर उड़ने को तैयार है बौना ड्रेगन ! ( पहली किश्त )

कुछ अर्थशास्त्री यह कहकर प्रसन्न होने का प्रयास कर रहे हैं कि इस साल भारत और चीन में विकास दर लगभग आठ प्रतिशत रहेगी। इस वक्तव्य के माध्यम से वे यह जताने का प्रयास कर रहे हैं कि भारत चीन से किसी तरह कम नहीं। जिस प्रकार मुद्रा स्फीती की दर एक मिथ्या एवं अव्यवहारिक सूचकांक सिध्द हुआ है उसी प्रकार विकास दर भी अर्थव्यवस्था का एक भ्रामक तापमापी है जिसमें कई किंतु-परंतु लगे हुए हैं और इससे देश की अर्थव्यवस्था का वास्तविक तापक्रम नहीं नापा जा सकता। इस तापमापी से लिये गये तापक्रम से चीन और भारत के आर्थिक स्वास्थ्य के एक जैसे होने की बात करना, स्वयं को को छलने जैसा है।
चीन न केवल भारत से अधिक आबादी वाला देश है अपितु दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश भी है। चीन का सकल घरेलू उत्पाद लगभग सात ट्रिलियन डॉलर है जबकि भारत का सकल घरेलू उत्पाद तीन ट्रिलियन डॉलर से भी कम है। यदि दोनों देशों की जीडीपी में 8 प्रतिशत की वृध्दि होती है तो चीन की अर्थव्यवस्था में आधे ट्रिलियन डॉलर से भी अधिक की वृध्दि होगी जबकि भारत की जीडीपी में चौथाई ट्रिलियन डॉलर से भी कम की वृध्दि होगी। चीन में प्रति व्यक्ति आय 5300 अमरीकी डॉलर के लगभग है जबकि भारत में यह 650 अमरीकी डॉलर के लगभग है। इस प्रकार भारत और चीन की अर्थव्यवस्था का कहीं कोई मुकाबला ही नहीं है।
कुछ दशक पहले तक चीन दुनिया के अत्यंत पिछड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों में गिना जाता था। 1976 में माओत्से तुंग की मृत्यु के बाद उसने औद्योगिकीकरण का जो सिलसिला आरंभ किया उसके बल पर आज चीन न केवल अपनी दयनीय अर्थव्यवस्था के दायरे से बाहर आ गया है अपितु पूरे संसार के सामने आर्थिक चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। चीन ने पूरी दुनिया को यह चुनौती ऊर्जा उत्पादन के बल पर दी है। सन् 2000 से 2004 के बीच चीन ने अपने कुल ऊर्जा उत्पादन में 60 प्रतिशत की वृध्दि की जिसके बल पर उसने अपने देश में वृहत् औद्योगिक क्रांति को जन्म दिया और उसके उत्पाद दुनिया भर के देशों में छा गये। कुछ वर्ष पहले तक दुनिया के बाजार में अमरीका को जो चुनौती जापान से मिलती थी अब चीन से मिल रही है।
आज अकेला चीन दुनिया की 10 प्रतिशत ऊर्जा की खपत करता है। वर्तमान में चीन की विद्युत उत्पादन क्षमता 531 गीगावाट है जबकि भारत की विद्युत उत्पादन क्षमता 147 गीगावाट है। इस प्रकार भारत की तुलना में चीन में 3.5 गुना से भी अधिक बिजली पैदा होती है। जबकि भारत की तुलना में चीन की आबादी सवा गुनी ही है। चीन में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत 2176 यूनिट है जबकि भारत में यह केवल 612 है। इस प्रकार आम चीनी आम भारतीय की तुलना में साढ़े तीन गुना बिजली का उपभोग करता है।
चीन ने बिजली उत्पादन की जो तैयारी की है उसे देखकर यही कहा जा सकता है कि बौना ड्रेगन बिजली के पंख लगाकर उड़ने को तैयार है। (शेष कल)

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