Thursday, January 21, 2010

अब बॉस देर शाम तक रुकने को नहीं कहते !

इंग्लैण्ड में श्रमिकों, कर्मचारियों एवं अधिकारियों से लेकर प्रबंधकीय वर्ग तक में काम करने की एक आदर्श आचार संहिता है। इस आचार संहिता का अधिकांश हिस्सा अलिखित है जो परम्परा, मर्यादा और कॉमनसेंस से संचालित होता है। कुछ अडियल मालिकों और प्रबंधकों को नियंत्रित करने के लिये श्रम कानून भी बने हुए हैं। इंगलैण्ड में हर व्यक्ति निर्धारित समय पर अपने कार्य स्थल पर पहुंचता है। काम के समय में वह लगातार काम करता है। गप्पों, बहसों, चाय की चुस्कियों और हथाइयों के लिये उस दौरान कोई गुंजाइश नहीं रहती। कार्यालय कर्मचारियों से भरा रहता है किंतु वहां शोर नहीं होता। लंच के समय लंच होता है और छुट्टी के समय छुट्टी होती है। काम समाप्त करने का समय उसी तरह निश्चित है जिस तरह काम आरंभ करने का। काम का समय पूरा होने के बाद कोई भी बॉस अपने अधीनस्थ को कार्य स्थल पर एक मिनट के लिये भी नहीं रोक सकता अन्यथा उसे श्रम कानूनों का सामना करना पड़ सकता है। अवकाश के दिन कोई कर्मचारी काम पर नहीं बुलाया जाता, उस दिन केवल अवकाश ही रहता है।
देखने-सुनने में यह व्यवस्था कुछ रूखी और यांत्रिक प्रतीत होती है किंतु इस व्यवस्था को बनाये रखने में काम के समय काम वाला फण्डा सहायता करता है। भारत में इस परम्परा का निर्वहन केवल उन कारखानों में लागू है जहां श्रमिक समय पर अपना कार्ड पंच करवाते हैं और शाम को भौंपू बजते ही काम छोड़ देते हैं। जबकि अधिकांश कार्यालयों में श्रमिक वर्ग और कर्मचारियों से लेकर अधिकारी और प्रबंधक, काम पर पंद्रह बीस मिनट से लेकर एक घण्टे तक की देरी से पहुंचते हैं, दिन में गप्पें लगाते हैं, एक दूसरे को चाय पिलाकर आपसी सम्बन्धों को आगे बढ़ाते हैं। लंच में भी आधे घण्टे की जगह एक घण्टा लेते हैं और शाम को कार्यालय बंद होने से कुछ पहले ही अपना कार्य छोड़ देते हैं। एक ओर कर्मचारी कम होने का रोना रोया जाता है दूसरी ओर कार्यालय कर्मचारियों के शोर-शराबे से भरे हुए रहते हैं। इस कार्यशैली की भरपाई के लिये बहुत से कर्मचारी और अधिकारी देर शाम तक अपने कार्यालय में रुक कर काम निबटाते हैं और अवकाश के दिन भी कार्यालय खोलकर बैठते हैं।
मेरे एक मित्र की पुत्री लंदन की एक प्रतिष्ठित कम्पनी में अधिकारी हैं। वहां उनके बॉस एक भारतीय व्यक्ति थे। उन्होंने अपनी अधीनस्थ भारतीय अधिकारी को निर्देश दिये कि शाम को कार्यालय छोÞडने से पहले वे दिन भर के काम की रिपोर्ट देकर ही घर जायेगी। शाम के समय जब यह अधिकारी अपने बॉस के कमरे में जाती तो, वे किसी अन्य कार्य में उलझे हुए होते। इस चक्कर में इस महिला अधिकारी को नित्य ही काफी देर तक कार्यालय में रुकना पÞडता। एक दिन भारतीय बॉस के अंग्रेज बॉस ने उस महिला अधिकारी को देर शाम को कार्यालय में देख लिया तो उससे कार्यालय में रुके रहने का कारण पूछा। लड़की ने अपने बॉस के निर्देश उन्हें बता दिये। इस पर बॉस के बॉस ने निर्देश दिये कि आप स्वयं रुककर कोई कार्य करना चाहें तो भले ही रुकें अन्यथा आपको रुकने की आवश्यकता नहीं है। यदि आपके बॉस को आपसे कार्य की रिपोर्ट लेनी है तो वे ऐसी व्यवस्था करें जिससे यह कार्य भी निर्धारित समय में पूरा हो। उस दिन के बाद से भारतीय बॉस ने उस अधिकारी को कभी कार्यालय समय के पश्चात् कार्यालय में नहीं रोका।
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