Thursday, January 21, 2010

इंगलैण्ड में कोई नहीं पूछता कि आप कहाँ जा रहे हैं !

डॉ. मोहनलाल गुप्ता
श्री द्वारकादास माथुर ने मुझे एक रोचक किस्सा सुनाया। उनकी पुत्री लंदन की एक टेलिकॉम कम्पनी में अधिकारी है। उसे अपने कार्य के विषय में कोई जानकारी चाहिये थी। उसे ज्ञात हुआ कि कार्यालय की एक इंगलिश लड़की इस सम्बन्ध में सबसे अच्छी जानकारी रखती है। भारतीय लड़की ने उस इंगलिश लÞडकी से सम्पर्क किया और अनुरोध किया कि वह उसे इस विषय की जानकारी दे। इंगलिश लड़की ने भारतीय लड़की से कहा कि वह उसे जानकारी तो दे देगी किंतु वह भारतीय लोगों को कम ही पसंद करती है क्योंकि वे बहुत जल्दी पर्सनलाईज होने का प्रयास करते हैं। भारतीय लड़की को बुरा लगा। इसलिये अगले कुछ दिन तक उसने इंगलिश लड़की से सम्पर्क नहीं किया। तीसरे-चौथे दिन वह इंगलिश लड़की स्वयं चलकर भारतीय लड़की के पास आई और उसे वांछित जानकारी प्रदान कर दी। भारतीय लड़की को यह देखकर बहुत आश्चर्य हुआ कि इंगलिश लड़की को उस विषय की बहुत अच्छी जानकारी थी और उसने वह जानकारी बहुत ही अच्छे तरीके से भारतीय लड़की को दी। काम पूरा होने के बाद इंगलिश लड़की खेद व्यक्त करते हुए बोली, मुझे ज्ञात है कि आपको मेरी उस दिन वाली बात बुरी लगी है किंतु भारतीय लोगों के साथ कठिनाई यह है कि एकाध दिन की भेंट के बाद ही वे अत्यंत व्यक्तिगत सवाल पूछने लगते हैं। कभी पूछेंगे, आपकी शादी हो गई, या आपके बच्चे कितने हैं, या आपके हसबैण्ड क्या करते हैं ? मुझे यह समझ नहीं आता कि भारतीय लोग एक दूसरे के बारे में इतनी व्यक्तिगत जानकारी क्यों लेना चाहते हैं ! यहाँ कोई भी व्यक्ति एक दूसरे के काम में हस्तक्षेप नहीं करता। कौन कहां आता है, कहां जाता है, किसका किससे क्या सम्बन्ध है, किसका किसी से क्या झगड़ा है इस बारे में किसी अन्य व्यक्ति को तब तक नहीं जानना चाहिये जब तक कि ऐसा करना आवश्यक न हो। हो सकता है कि कुछ लोगों के पास उस इंगलिश लड़की के विरुद्ध कुछ तर्क हों किंतु काफी सीमा तक वह अपनी बात सही कह रही है। आम भारतीय एक दूसरे के जीवन में आवश्यकता से अधिक तांका-झांकी करता है। यद्यपि यह भी सही है कि आम भारतीय सुख-दुख में एक दूसरे का अधिक साथ देता है किंतु यूरोपीय संस्कृति में सामाजिक और प्रशासनिक व्यवस्था इतनी मजबूत है कि किसी व्यक्ति को सुख-दुख में सहायता उस व्यवस्था से ही प्राप्त हो जाती है। यही कारण है कि इंगलैण्ड के लोग एक दूसरे से मिलने पर मौसम के बारे में तो बात करते हैं किंतु कोई किसी से यह नहीं पूछता कि आप कहाँ जा रहे हैं। जबकि भारत में तो घर से बाहर निकलते ही हर व्यक्ति को इसी सवाल का सामना करना पड़ता है। हैरानी होती है यह देखकर कि कभी-कभी तो दो-चार किलोमीटर की दूरी में ही हमारा सामना इस सवाल से आठ-दस बार तक हो जाता है। उस इंगलिश लड़की की तरह मैं भी यह सोचकर हैरान होता हूँ कि लोग आखिर क्यों जानना चाहते हैं कि कोई कहाँ जा रहा है!
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