Thursday, April 29, 2010

उस मुल्क की सरहद को कोई छू नहीं सकता!

डॉ. मोहनलाल गुप्ता
पाकिस्तानी दूतावास में द्वितीय सचिव स्तर की महिला राजनयिक को गोपनीय सूचनाएं पाकिस्तान के हाथों बेचने के आरोप में पकड़ा गया। भारतीय एजेंसियों के अनुसार यह तिरेपन वर्षीय महिला राजनयिक, भारतीय गुप्तचर एजेंसी रॉ के इस्लामाबाद प्रमुख से महत्वपूर्ण सूचनायें प्राप्त करती थी तथा उन्हें पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आई एस आई को बेचती थी। कुछ और अधिकारी भी इस काण्ड में संदेह के घेरे में हैं! इस समाचार को पढ़ कर विश्वास नहीं होता! सारे जहां से अच्छा! मेरा भारत महान! इण्डिया शाइनिंग! हम होंगे कामयाब! माँ तुझे सलाम! इट हैपन्स ओनली इन इण्डिया! जैसे गीतों और नारों को गाते हुए कभी न थकने वाले भारतीय लोग, क्रिकेट के मैदानों में मुंह पर तिरंगा पोत कर बैठने वाले भारतीय लोग और सानिया मिर्जा को कंधों पर बैठा कर चक दे इण्डिया गाने वाले भारतीय लोग क्या अपने देश को इस तरह शत्रुओं के हाथों बेचेंगे! संभवत: ये गीत और नारे अपने आप को धोखा देने के लिये गाये और बोले जाते हैं! आखिर इंसान के नीचे गिरने की कोई तो सीमा होती होगी! पाकिस्तान के लिये गुप्त सूचनायें बेचने और शत्रु के लिये गुप्तचरी करने वाले इन भारतीयों के मन में क्या एक बार भी यह विचार नहीं आया कि जब उनकी सूचनाओं के सहारे पाकिस्तान के आतंकवादी या सैनिक भारत की सीमाओं पर अथवा भारत के भीतर घुसकर हिंसा का ताण्डव करेंगे तब उनके अपने सगे सहोदरे भी मौत के मुख में जा पड़ेंगे! रक्त के सम्बन्धों से बंधे वे माता-पिता, भाई-बहिन, बेटे-बेटी और पोते-पोती भी उन रेलगाड़ियों में यात्रा करते समय या बाजार में सामान खरीदते समय या स्कूलों में पढ़ते समय अचानक ही मांस के लोथड़ों में बदल जायेंगे, जिनके लिये ये भारतीय राजनयिक और गुप्तचर अधिकारी पैसे लेकर सूचनायें बेच रहे थे! कौन नहीं जानता कि हमारी सीमाओं पर सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा! पाकिस्तान की सेना और गुप्तचर एजेंसियों ने सीमा पर लगी तारबंदी को एक तरह से निष्फल कर दिया है। तभी तो सितम्बर 2009 में पाकिस्तान की ओर से राजस्थान की सीमा में भेजी गई बारूद और हथियारों की दो बड़ी खेप पकड़ी जा चुकी हैं जिनमें 15 किलो आर डी एक्स, 4 टाइमर डिवाइस, 8 डिटोनेटर, 12 विदेशी पिस्तौलें तथा 1044 कारतूस बरामद किये गये। इस अवधि में जैसलमेर और बाड़मेर से कम से कम एक क्विंटल हेरोइन बरामद की गई है। अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पार से लाये जा रहे हथियार और गोला बारूद का बहुत बड़ा हिस्सा देश के विभिन्न भागों में पहुंचता है। पिछले कुछ सालों में दिल्ली, बंगलौर, पूना, जयपुर और बम्बई सहित कई नगर इस गोला बारूद के दंश झेल चुके हैं। हाल ही में बंगलौर में क्रिकेट के मैदान में आरडीएक्स की भारी मात्रा पहुंच गई और वहां दो बम विस्फोट भी हुए। क्यों भारतीय सपूत अपने देश की सरहदों की निगहबानी नहीं कर पा रहे हैं ? जिस समय मुम्बई में कसाब अपने आतंकवादी साथियों के साथ भारत की सीमा में घुसा और ताज होटल में घुसकर पाकिस्तानी आतंकियों ने जो भीषण रक्तपात किया उस समय भी हमारे देश की सीमाओं पर देश के नौजवान सिपाही तैनात थे फिर भी कसाब और उसके साथी अपने गंदे निश्चयों को कार्य रूप देने में सफल रहे! सीमा की चौकसी की असफलता हमारे बहादुर सिपाहियों की मौत के रूप में हमारे सामने आती है। अभी कुछ दिनों पहले एक आंकड़ा समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ था जिसमें कहा गया था कि राजस्थान ने कारगिल के युद्ध में 67 जवान खोये किंतु कारगिल का युद्ध समाप्त होने के बाद राजस्थान के 410 सपूतों ने भारत की सीमाओं पर प्राण गंवाये। इन आंकड़ों को देखकर मस्तिष्क में बार-बार प्रश्न ये प्रश्न उठते हैं- कहाँ गये वो लोग जिनकी आँखें इस मुल्क की सरहद की निगेबान हुआ करती थीं! कहाँ गये वे लोग जिन्होंने ये गीत लिखा था - उस मुल्क की सरहद को कोई छू नहीं सकता, जिस मुल्क की सरहद की निगहबान हैं आँखें!
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