Friday, October 30, 2009

घर बैठे चावल खरीद रहे हो तो सावधान

-डॉ. मोहनलाल गुप्ता
नित्य ही इस स्तंभ में मैं, परबीती की बात करता हू किंतु आज, आप बीती। कल दोपहर में जब मैं अपने कार्यालय में था, बच्चे अपने कॉलेज और स्कूल में थे। पिताजी किसी काम से बाजार के लिए निकले और घर में रह गई मेरी माताजी और धर्मपत्नी। गलियों में घूमकर चावल बेचने दो युवक और दो युवतियां मेरे घर आई। उन्होंने माताजी से अनुरोध किया कि चावल खरीद लें। चावल अच्छा दिख रहा था। थोड़ी देर के मोलभाव के बाद उन्होंने बीस रुपए किलो की दर पर चावल बेचना स्वीकार कर लिया। शर्त यह थी कि पूरा कट्टा खरीदना पड़ेगा।
इतने अधिक चावल की किसी परिवार को आवश्यकता नहीं होती। फिर भी इतना अच्छा और सस्ता दिख रहा था कि माताजी ने सोचा कि वे इसमें से कुछ चावल मेरे दो छोटे भाइयों और बहिन के परिवारों को भी दे देंगी और एक कट्टा चावल का सौदा हो गया। मेरी माताजी तथा धर्मपत्नी ने उनसे अनुरोध किया कि इस कट्टे को सामने की चक्की पर तुलवा देते हैं किंतु उन्होंने कहा कि वे घर में ही तोलेंगे। उन्होंने एक डिब्बे में चावल भर कर उन्हे तोला। एक डिब्बे में चार किलो चावल आया इसके बाद उन्होंने उस कट्टे में से 31 डिब्बे चावल भर कर एक दूसरे कट्टे में डाल दिए। इस प्रकार 124 किलो चावल हुए जिनके लिए मेरी माताजी और धर्मपत्नी ने उन्हे 2480 रुपए दे दिए। वे लोग रुपए लेकर चले गए।
जब कुछ देर पश्चात पिताजी लौटकर आए तो उन्हे बताया गया कि बीस रुपए किलो की दर से 124 किलो अच्छे चावल खरीदे हैं। पिताजी ने चावल देखे तो उन्होंने तुरंत भांप लिया कि ये चावल मात्रा में कम है। चावल फिर से तोले गए। कुल 47 किलो चावल बैठे। मेरी माताजी ने उन युवकों को चावल के डिब्बे भरते देखा था और धर्मपत्नी ने एक एक डिब्बे को कागज पर दर्ज किया था। फिर भी उन युवकों के हाथ में इतनी सफाई थी कि दो समझदार पढ़ी लिखी और अनुभवी महिलाएं बड़ी सरलता से उनके झांसे में आ गई। 47 किलो के वजन में 124 किलो चावल तोल देना तो कोई उच्च प्रकार की कीमियागिरी करने जैसी बात है। यह कैसे हुआ, इसे तो करने वाले ही जाने।
यह कहानी मेरे घर की है, किसी को इससे कोई लेना देना नहीं किंतु फिर भी मैंने इसलिए लिखी है कि यदि आज जोधपुर नगर में वे चावल बेचने वाले किसी और परिवार में यह हरकत करे तो वे सावधान हो जाए तथा पुलिस को सूचित को सूचित करके उन ठगों को पकड़वाए।

4 comments:

  1. सही है! सस्ते के लालच में ही लोग ठगा जाते हैं।

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  2. आप ने सही लिखा है इस से दूसरे लोग सावधानी बरतेगें।
    असल में ऐसे लोग अपनी लछेदार बातों से भ्रमित कर देते हैं।शायद यह कोई सम्मोहन जैसी ही कोई कला जानते हैं ऐसा एक बार हमारे मौहल्ले में भी हुआ था।ऐसे लोगो से दूर ही रहना चाहिए।

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  3. Namaste sir,
    Nice
    Glad to see on blog....

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  4. अच्छा मशविरा, धन्यवाद, दैनिक नव-ज्योती देखा, सुन्दर बेव पोर्टल।

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