Tuesday, September 8, 2009

लाल दैत्य इतिहास के तिराहे पर आकर खड़ा हो गया!

जोधपुर। लाल दैत्य इतिहास के तिराहे पर आकर खड़ा हो गया। यह तिराहा तिब्बत, लद्दाख और स्पीती को जाने वाली सड़कों को जोड़ता है। अंग्रेजों ने इस तिराहे का निर्माण किया था और तिब्बत, लद्दाख एवं चीन की सीमाएं निर्धारित की थीं। अंग्रेज चले गये, इतिहास रह गया। तिब्बत को लाल दैत्य निगल गया और लद्दाख तथा स्पीती पर लाल दैत्य का खूनी पंजा गढ़ गया। लद्दाख और स्पीती ही क्यों वह तो अरूणाचल प्रदेश, सिक्कम, लद्दाख, नेपाल और भूटान को अपने खूनी पंजे की पांच अंगुलियां बता चुका। इसीलिये 31 जुलाई को लाल दैत्य ने लद्दाख के जुलुंग ला दर्रे से अपना खूनी पंजा फैलाया और माउंट ग्या के पत्थरों पर लाल निशान लगा दिये।
प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि लाल दैत्य ने ऐसा क्यों किया? वस्तुत: यह भारत को उकसाने वाली कार्यवाही है जिसे वह विगत कई वर्षों से लगातार कर रहा है। वह चाहता है कि भारत अपना संयम खोकर कोई गलती करे और लाल दैत्य को अपने रक्त दंत फैलाकर चढ़ दौड़ने का बहाना मिल जाये। एक तरफ तो भारत लाल दैत्य के साथ व्यस्त हो जाये और दूसरी तरफ पश्चिम में बैठा काला दैत्य कश्मीर की घाटियों में घुस कर बैठ जाये। सर्दियां आरंभ होने से पहले ये दोनों दैत्य अपना काम निबटा लेना चाहते हैं। लाल दैत्य ने यह कार्यवाही 31 जुलाई अथवा उससे पूर्व की, जबकि काला दैत्य जुलाई और अगस्त में 12 बार भारत में घुसने का प्रयास कर चुका। वह सीमा पर गोली बारी करने से भी नहीं चूक रहा।
लाल दैत्य अपने सिर बदनामी मोल नहीं लेगा। वह तो काले दैत्य को आगे बढ़ने के लिये रास्ता साफ करेगा। काला दैत्य भारत में घुसकर लाल दैत्य के एजेंट के रूप में लाल और काली बिसात बिछायेगा। यही कारण है कि काला दैत्य पिछले कुछ सालों में न केवल कारगिल कर चुका, न केवल दिल्ली में संसद और लाल किला तथा मुम्बई में होटल ताज को काले धुंए और लाल खून से रंग चुका अपितु एक लाख 70 हजार करोड़ रुपये से अधिक की नकली करंसी भारत में खपा चुका। नेपाल के अपदस्थ राजा के पुत्र ने इस नकली करंसी को भारत में भेजने का काम ठेके पर लिया। उसे भूरा दैत्य कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। पूर्व में बैठा पीला दैत्य पहले से ही अपने एक करोड़ से अधिक नागरिकों की घुसपैठ भारत में करवा चुका। समझने वाली बात यह है कि भारत तीन ओर से बुरी तरह से घिर चुका।
रूस भी था तो लाल किंतु लाल रंग कब का छोड़ चुका। अब उसका कौनसा रंग है, पता ही नहीं चलता। सारे रंगों से न्यारे रंग का अमरीका फिलहाल मंदी-मंदी खेलने में व्यस्त। इसलिये उसे पूरी दुनिया में अपने हथियार बेचने का अच्छा बहाना मिल चुका। बराक हुसैन ओबामा सारी दुनिया में देवता बनकर पुजवाने के चक्कर में सबसे गुडी-गुडी हो रहे। उन्हें इन रंग-बिरंगे दैत्यों से क्या लेना-देना! इसलिये तो लाल दैत्य सचमुच इतिहास के तिराहे पर आकर अपने खूनी पंजे चमका रहा।

0 comments:

Post a Comment