डॉ. मोहनलाल गुप्ता
आजकल ब्लॉग लेखन का भी एक अच्छा खासा धंधा चल पड़ा है। अंग्रेजी की तरह हिन्दी भाषा में भी कई तरह के रोचक ब्लॉग उपलब्ध हैं। एक ब्लॉग पर मुझे एक मजेदार कार्टून दिखाई पड़ा। इस कार्टून में एक भैंस गोबर कर रही है और पास खड़ा उसका मालिक जोर-जोर से चिल्ला रहा है- मेरी भैंस ने आई पी एल कर दिया रे! इस वाक्य को पढ़कर अचानक ही हंसी आ जाती है किंतु यदि क्षण भर ठहर कर सोचा जाये कि भैंस का मालिक भैंस द्वारा गोबर की जगह आई पी एल करने से सुखी है कि दुखी तो बुद्धि चकरा कर रह जाती है! इस देश में हर आदमी कह रहा है कि आई पी एल जैसी वारदात फिर कभी न हो किंतु वास्तव में तो वह केवल इतना भर चाह रहा है कि आई पी एल जैसी वारदात कोई और न कर ले। करोड़ों लोग हैं जो बाहर से तो आई पी एल को गालियाँ दे रहे हैं किंतु भीतर ही भीतर उनके मन में पहला, दूसरा और तीसरा लड्डू फूट रहा है काश यह सुंदर कन्या मेरे घर में रात्रि भर विश्राम कर ले अर्थात् एक बार ही सही, आई पी एल कर दिखाने का अवसर उसे भी मिल जाये।
कौन नहीं चाहेगा कि देश में भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु पैदा हों और इस देश के लिये कुछ अच्छा करते हुए वे फांसी के फंदे पर झूल जायें। फिर भी अपने बेटे को कोई भगतसिंह, सुखदेव या राजगुरु नहीं बनने देता। अपने घर में तो वे धीरू भाई अम्बानी, ललित मोदी, राखी सावंत, सानिया मिर्जा, शाहरुख खान या महेन्द्रसिंह धोनी जैसी औलाद के जन्म की कामना करेगा ताकि घर में सोने-चांदी और रुपयों के ढेर लग जायें।
कभी-कभी तो लगता है कि देश में बहुत सारे लोग आई पी एल जैसे मोटे शिकार कर रहे हैं। मेडिकल काउंसिल आॅफ इण्डिया के अध्यक्ष केतन देसाई के घर से एक हजार आठ सौ पचास करोड़ रुपये नगद और डेढ़ टन सोना निकला है तथा अभी ढाई हजार करोड़ रुपये और निकलने की आशंका है। यह घटना भी अपने आप में किसी आई पी एल से कम थोड़े ही है! केतन देसाई की गैंग ने करोड़ों रुपये लेकर मेडिकल कॉलेजों को मान्यता देने, थोड़े दिन बाद उसकी कमियां ढूंढ कर मान्यता हटाने और दो करोड़ रुपये लेकर मान्यता वापस बहाल करने का खेल चला रखा था। रिश्वत बटोरने के इस महा आयोजन के लिये केतन देसाई ने भी आई पी एल की तर्ज पर बड़े-बड़े अफसरों और उनके निजी सचिवों की टीमों को बोलियां लगाकर खरीदा था। अभी कुछ दिन पहले मध्य प्रदेश में कुछ आई ए एस अफसरों के घरों से करोड़ों रुपये नगद, सोने चांदी के बर्तन और हीरे जवाहरात बरामद किए गये थे। एक काण्ड में तो मियां-बीवी दोनों ही शामिल थे। दोनों ही प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी थे और उनकी भैंसें जमकर आईपीएल अर्थात् सोने का गोबर करती थीं। अब कोई दो-चार या दस-बीस भैंसें हों तो गिनायें। अब तो स्थान-स्थान पर भैंसें आई पी एल कर रही हैं। सौभाग्य कहें या दुर्भाग्य किसी-किसी भैंस का आई पी एल ही चौरोहे पर आकर प्रकट होता है!
Tuesday, April 27, 2010
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